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विविध

उजड़ा पर्यटन

ये है ज़िंदगी का रेला-पेला, किसी ने खेला, किसी ने झेला शक्ति के इस खेल में फूलों की साज़िश है, कांटे बदनाम हैं। महफ़िल सूनी है, जाम खाली हाथ हैं।

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उत्तरकाशी

जब नदी अपने घर लौट आई — धराली की त्रासदी से निकला एक पुराना सबक

रिपोर्ट: डाo परितोष उप्रेती धराली — हर्षिल घाटी का वह छोटा-सा गाँव, जहाँ खीर गंगा की कल-कल धारा मानो लोरी-सी गुनगुनाती है। यही गाँव मंगलवार की दोपहर पर एक आवाज़

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