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वरिष्ठ कुमाउनी साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली का निधन


संस्कृत कर्मियों में शोक की लहर
अल्मोड़ा। कुमाउनी भाषा और साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली का गुरुवार रात 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय तक हरीदत्त पेटशाली इंटर कॉलेज के प्रबंधक रहे। कुमाउनी भाषा को समर्पित अपने असाधारण योगदान के कारण उन्हें “कुमाउनी भाषा का इनसाइक्लोपीडिया” भी कहा जाता था। पेटशाली को कई प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उन्होंने एक संग्रहालय की भी स्थापना की थी, जिसमें उत्तराखंड की अनेक दुर्लभ साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित एवं संरक्षित किया गया है।उनके निधन से कुमाउनी भाषा, साहित्य और संस्कृति को अपूरणीय क्षति पहुँची है। यहां उल्लेखनीय है कि जाने माने लोक साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली को संगीत नाटक एकेडमी अमृत अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया था लोक साहित्यकार पेटशाली को उत्तराखंड की प्रदर्शन कला में समग्र योगदान के लिए यह अवार्ड दिया गया था। पेटशाली ने बताया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ की शालीनता से वह खासे प्रभावित हैं। पेटशाली ने 14 साल की उम्र में राइंका अल्मोड़ा के छात्र रहते चर्चित कविता लिखी थी। वहीं चीन युद्ध के दौरान 16 साल की उम्र में लिखी कविता तब आकाशवाणी दिल्ली से प्रसारित हुई थी। कुमाऊं की अमर प्रेम गाथा राजुला मालुशाही पर उन्होंने 23-24 साल से लिखना शुरू किया हालांकि इसका प्रकाशन 44-45 साल की उम्र में किया गया। वहीं पिंगला भर्तहरि के साथ ही जय बाला गोरिया व कुमाऊं के लोक गीत के विविध स्वरूपों पर उन्होंने अपनी लेखनी चलाई थी। उनके निधन से संस्कृतकर्मियों व साहित्यकारों में शोक की लहर है। शक्ति समाचार आनलाइन परिवार भी उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि देता है।