जनता के स्कूल बचाने के लिए उत्तराखंड छात्र संगठन और उत्तराखंड के युवा अभियान करेंगे।
अल्मोड़ा। उत्तराखंड छात्र संगठन ने मुख्यमंत्री के नाम ज़िला अधिकारी को ज्ञापन देकर उत्तराखंड में 1488 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों को क्लस्टर विद्यालयों में बदलने का विरोध कर इस आदेश को वापस लेने की मांग की और कहा कि जनता के स्कूल बचाने के लिए उत्तराखंड छात्र संगठन और उत्तराखंड के युवा अभियान करेंगे।
उत्तराखंड छात्र संगठन ने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि क्लस्टर विद्यालयों के निर्णय से दूर दराज़ के विद्यार्थी, विशेषकर बालिकाएं, शिक्षा से वंचित होंगी। बच्चों को रोज़ाना लंबी और जोखिमपूर्ण दूरी तय करनी पड़ेगी। इससे आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों पर परिवहन और अतिरिक्त व्यय का बोझ पड़ेगा और विद्यालय छोड़ने की दर में वृद्धि होगी। यह शिक्षा के बाज़ारीकरण को बढ़ाएगा और बाल श्रम में वृद्धि होगी।
उछास की संयोजक भारती पांडे ने कहा कि आज सरकार जनता द्वारा बनाए गए विद्यालयों को भू माफियाओं और संस्थाओं को देना चाहती है जिसका उत्तराखंड छात्र संगठन पूर्ण रूप से विरोध करता है।
उछास के मयंक कुमार ने कहा कि, शिक्षा नीति (NEP 2020) का उद्देश्य प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा लागू की जा रही क्लस्टर योजना इन उद्देश्यों के विपरीत है। विद्यालयों का बंद या विलय करना नन्हें बच्चों, विशेषकर बालिकाओं और ग्रामीण गरीब परिवारों, के लिए शिक्षा को कठिन बना देगा। इससे ड्रॉप-आउट दर बढ़ेगी, यह शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21A) और समान अवसर (अनुच्छेद 14) की मूल भावना के खिलाफ है। इस प्रकार क्लस्टर योजना स्वयं NEP की ही अन्य योजनाओं और उद्देश्यों का विरोधाभास करती है।
ज्ञापन देने में उछास की भावना पांडे, विनीता, सोनी मेहता, नेहा, भारतेंदु भाकुनी, सीता चम्याल, मुस्कान कैड़ा, हेमा समेत अन्य लोग शामिल रहे।