ऋषिकेश की विश्व प्रसिद्ध चौरासी कुटिया बीटल्स, आश्रम रूप में संवरेगी
: Almora-योग नगरी ऋषिकेश की पहचान रही चौरासी कुटिया अब नए स्वरूप में संवरेगी। महर्षि महेश योगी द्वारा स्थापित यह स्थान विश्वभर में बीटल्स आश्रम के रूप में प्रसिद्ध है।
103 करोड़ की लागत से होगा सौंदर्यीकरण
प्रदेश सरकार ने चौरासी कुटिया के सौंदर्यीकरण के लिए 103 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। इस कार्य को उत्तराखण्ड पीडब्ल्यूडी हेडक्वार्टर के माध्यम से कराया जाएगा। योजना के तहत विशिष्ट गेस्ट हाउस, महर्षि योगी बंगला, छात्रावास, 123 कुटियाओं का निर्माण, आगंतुक हॉल, पुस्तकालय, संपर्क मार्ग, पानी के फव्वारे और अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
पर्यटन और राजस्व को मिलेगा बढ़ावा
इस परियोजना के पूर्ण होने से न केवल देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि राज्य सरकार को राजस्व में भी उल्लेखनीय लाभ मिलेगा। खासतौर पर आने वाले अर्धकुंभ में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के पहुंचने की संभावना है। सरकार का लक्ष्य है कि परियोजना को जल्द पूरा किया जाए ताकि इसका लाभ अधिकतम लोगों तक पहुंच सके।
बीटल्स से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहर
साल 1961 में महर्षि महेश योगी ने लैंसडौन वन प्रभाग की 7.5 हेक्टेयर भूमि 20 वर्षों के लिए लीज पर ली थी। इसी स्थान पर 1968 में विश्व प्रसिद्ध बीटल्स ग्रुप ने चार सप्ताह का समय बिताया और कई चर्चित गीतों की रचना की। लीज समाप्त होने के बाद यह भूमि खाली कर दी गई थी, जिसे वन विभाग ने 8 दिसम्बर 2015 से पर्यटकों के लिए खोल दिया।
प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम
आज चौरासी कुटिया सिर्फ ऐतिहासिक महत्व के लिए ही नहीं, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यहां 300 से अधिक प्रजातियों की चिड़ियां अपनी मधुर आवाज से वातावरण को जीवंत करती हैं। प्रवेश द्वार से लेकर कुटियाओं तक की वास्तुकला पर्यटकों को प्रभावित करती है। यहां 84 कुटियाएं, सिद्ध भवन, आनन्द भवन (चार मंजिला), बीटल्स बंगला, फोटो गैलरी, योगा हॉल, नेचर ट्रेल और मिनी हर्बल गार्डन जैसी विशेष संरचनाएं मौजूद हैं।

संरचना और सुविधाएं
कुटिया परिसर में आगंतुकों के लिए बैठने की व्यवस्था, कैन्टीन, स्वच्छ बाथरूम, पेयजल और सुरक्षा की सुविधाएं उपलब्ध हैं। आनन्द भवन और सिद्ध भवन का निर्माण भूकम्परोधी तकनीक से किया गया था। कभी यही स्थान महर्षि योगी के विद्यार्थियों और शिक्षकों का निवास स्थल था, जहां योग और प्रवचन कक्षाएं नियमित रूप से चलती थीं।
सामूहिक प्रयास से इतिहास का नया अध्याय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, वन मंत्री सुबोध उनियाल, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से यह ऐतिहासिक कुटिया पुनः जीवन्त होने जा रही है। निश्चित रूप से इसका संरक्षण और विकास उत्तराखण्ड की पर्यटन पहचान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि।