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मानसखंड विज्ञान केंद्र को रीथिंक इंडिया द्वारा भारत रत्न पं गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन पर्यटन एवं पर्यावरण प्रशस्ति 2025 पुरूस्कार से सम्मानित किया।

Almora-मानसखण्ड विज्ञान केन्द्र (एम.के.एस.सी.), अल्मोड़ा में 09 सितम्बर 2025 को हिमालय दिवस का आयोजन किया गया ।जिसका मुख्य विषय कुमाऊं को एक वैश्विक ज्ञान गोष्ठी गंतव्य के रूप में बदलना :: संस्थानों और सेवा प्रदाताओं में स्थानीय स्तर पर सूक्ष्म तालमेल और रणनीतियों की कल्पना करना और उन्हें क्रियान्वित करना, लचीले और टिकाऊ हिमालयी पर्यटन (तीर्थाटन और पर्यटन) को बढ़ावा देना था ।


कार्यक्रम में स्थानीय स्तर पर सूक्ष्म तालमेल और रणनीतियों की कल्पना करना और उन्हें क्रियान्वित करना, लचीले और टिकाऊ हिमालयी पर्यटन को बढ़ावा देना – तीर्थाटन और पर्यटन एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा के माध्यम से कुमाऊनी भाषा और संस्कृति के प्रसार की संभावनाएं विषय पर पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया । इस अवसर पर मानसखंड विज्ञान केंद्र को रीथिंक इंडिया द्वारा भारत रत्न पं गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन पर्यटन एवं पर्यावरण प्रशस्ति 2025 पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में पं गोविन्द बल्लभ पंत तथा जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा को याद किया गया । रीथिंक इंडिया संस्थान उत्कृष्ट उत्तराखंड उत्कण्ठ 2025 के विजन से प्रेरित होकर, राष्ट्रीय उत्कृष्टता के लिए शिक्षा, उद्योग और सरकार के इंटरफेस पर काम कर रहा है। कार्यक्रम में रानीखेत कैंटोनमेंट बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव ने रानीखेत कैंटोनमेंट बोर्ड में किये गए कार्यो को बताया तथा वक्ताओं ने सुधार के लिए अपने सुझाव दिए। समस्त उत्तराखंड में पर्यटन विकास तथा चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। वक्ताओं में हिमांशु उपाध्याय, बाल प्रहरी के सम्पादक श्री उदय किरोला, पहरु पत्रिका के नीरज पंत, अरुण वर्मा रहे। समस्त उत्तराखंड में पर्यटन विकास तथा चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। कार्यक्रम में उत्पादकों द्वारा स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।


केंद्र प्रभारी डॉ नवीन चंद्र जोशी ने कहा कि हिमालय दिवस पर भारत रत्न पं गोविन्द बलाभ पंत पर्यावरण प्रशस्ति २०२५ से सम्मानित होना मानसखंड विज्ञान केंद्र के लिये गौरव का विषय है । हिमालय केवल एक पर्वत श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह हमारी जीवन रेखा है। इसे “एशिया का जल स्तंभ” कहा जाता है, क्योंकि गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियाँ यहीं से निकलती हैं और करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती हैं।
हिमालय हमें ठंडी हवाओं से बचाता है और मानसून को संतुलित करता है। धार्मिक दृष्टि से भी हिमालय का बहुत महत्व है — बद्रीनाथ, केदारनाथ, अमरनाथ और कैलाश जैसे पवित्र स्थल यहीं स्थित हैं।
लेकिन आज हिमालय गंभीर संकट से गुजर रहा है। अगर हमने अभी से कदम नहीं उठाए तो आने वाली पीढ़ियों को पानी, स्वच्छ हवा और सुरक्षित पर्यावरण मिलना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित इस प्रकार की गतिविधियाँ समाज को हिमालय के महत्व के प्रति जागरूक करेंगी और संरक्षण के सामूहिक प्रयासों को बल देंगी तथा मानसखंड विज्ञान केंद्र के एमेरिटस साइंटिस्ट डॉ एस एस सामंत, डॉ जी सी एस नेगी, प्रोफेसर भीमा मनराल, रीथिंक इंडिया के श्री राघव मित्तल, श्रीमती सुरभि वैश मित्तल सहित अन्य वैज्ञानिक, कर्मचारी उपथित रहे।

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