हिम वीरों ने दिखाई बदरीनाथ में स्वच्छता की मिसाल, तीर्थ स्थलों की पवित्रता बचाने का लिया संकल्प
बद्रीनाथ:
जहां एक ओर देश की सीमाओं पर डटे वीर जवान हमारी सुरक्षा में दिन-रात तैनात रहते हैं, वहीं दूसरी ओर अब वे देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बचाने की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर उठाए हुए हैं।
बात हो रही है भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के उन जांबाज़ जवानों की, जिन्हें अब लोग सिर्फ सैनिक नहीं, बल्कि ‘हिम वीर’ कहकर पुकारते हैं—और इस बार उनका युद्ध था गंदगी के खिलाफ।
तीर्थ में आस्था के साथ स्वच्छता की अलख
मानसून के बावजूद बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगातार पहुंच रही है। सोमवार को भी लगभग 3100 तीर्थ यात्री भगवान बदरीविशाल के दर्शन के लिए पहुंचे। इस दौरान आईटीबीपी के जवानों ने बीकेटीसी (बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) और स्थानीय पुलिस प्रशासन के सहयोग से मंदिर परिसर में एक विशाल स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया।
इस अभियान में मंदिर की सीढ़ियाँ, परिक्रमा पथ, सिंहद्वार और आस-पास का संपूर्ण क्षेत्र शामिल रहा। जवानों ने अपने हाथों में झाड़ू और सफाई उपकरण लिए, और बिना किसी औपचारिकता के सेवा भाव से जुट गए।
यह केवल एक प्रतीकात्मक गतिविधि नहीं थी, बल्कि एक गहरी चेतना का स्वरूप था—कि पवित्र स्थलों की दिव्यता सिर्फ धार्मिक कर्मकांड से नहीं, बल्कि साफ-सुथरे माहौल से भी आती है।
सेवा, समर्पण और संस्कार का संगम
आईटीबीपी के जवान जिस अनुशासन और निष्ठा के साथ सीमा की रक्षा करते हैं, वैसी ही प्रतिबद्धता उन्होंने इस अभियान में भी दिखाई। मंदिर की सीढ़ियों से लेकर सिंहद्वार तक, हर कोना चमकाया गया।
श्रद्धालुओं ने यह दृश्य देखकर न केवल सराहना की, बल्कि कुछ ने तो स्वयं भी हाथ में झाड़ू थाम ली।
यह अभियान एक मौन संवाद था—“जहां आस्था है, वहां जिम्मेदारी भी होनी चाहिए”। तीर्थयात्रा केवल दर्शन तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि तीर्थ की रक्षा में भी योगदान आवश्यक है।
सुरक्षा के साथ-साथ समाज निर्माण की भी भूमिका
गौरतलब है कि ये वही जवान हैं जो नीति-माणा घाटी के दुर्गम इलाकों में देश की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं। ऐसे कठिन कार्यों के बीच समय निकालकर स्वच्छता जैसे नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन करना, उन्हें एक सच्चे ‘राष्ट्र सेवक’ की पहचान देता है।
स्वच्छता अभियान के जरिए जवानों ने यह भी दर्शाया कि आध्यात्मिक स्थलों की सुरक्षा केवल बाहरी खतरे से नहीं, बल्कि आंतरिक उपेक्षा से भी करनी होती है। अगर हम ही अपने तीर्थों को गंदा छोड़ देंगे, तो यह भगवान का अपमान नहीं तो और क्या है?
श्रद्धालुओं के मन में जगी चेतना
देशभर से आए तीर्थ यात्रियों ने जब यह अभियान देखा, तो उनके मन में भी स्वच्छता के प्रति एक नई समझ विकसित हुई। कई श्रद्धालु यह कहते हुए दिखे कि “अगर हमारे सैनिक इतना कर सकते हैं, तो हम भी अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभा सकते हैं।”
आईटीबीपी की यह पहल एक सामाजिक आंदोलन का प्रारंभ हो सकती है, जिसमें हर मंदिर, हर मस्जिद, हर गुरुद्वारा और हर तीर्थस्थल को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की नहीं, बल्कि हर नागरिक की होनी चाहिए।
बद्रीनाथ धाम न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर भी है। इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए जितनी जरूरी श्रद्धा है, उतनी ही जरूरी साफ-सफाई और सतर्कता भी है।
आईटीबीपी के ‘हिम वीरों’ ने हमें यह दिखा दिया कि देशभक्ति केवल बंदूक उठाने से नहीं होती—कभी-कभी यह झाड़ू उठाने में भी दिखती है।