मानसून की विदाई के बाद भी आफत
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड से मॉनसून की विदाई हो चुकी है, लेकिन प्रदेश के सीमांत जिले के हालात अभी भी नहीं सुधरे है. मॉनसून के दौरान बंद हुई सड़केंअभी तक नहीं खोली गई है.। ये स्थिति तब है, जब मॉनसून से पहलेआपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन और लोक निर्माण समेत तमामअन्य विभागों ने दावा किया था कि बारिश में बंद हुई सड़कों को जल्दसे जल्द खोला जाएगा, लेकिन जमीनी हकीकत दावों के उल्ट नजर आरही है.मॉनसून बीत चुका है और पिथौरागढ़ जिले में अब भी 14 सड़केंबंद हैं. इन सड़कों को खोलने में सिस्टम लाचार नजर आ रहा है।. इस सड़कों के बंद होने से हजारों लोग परेशान हैं.। मानसून की शुरुआत में ही मुनस्यारी, धारचूला, डीडीहाट, बिण और मूनाकोट में कई ग्रामीण सड़कें बंद हो गईं थी, जिन्हें अब तक नहीं खोला जा सका है।. इस तरह जिले में कुल 14 ग्रामीण सड़कें बंद हैं.। न सड़कों पर आवाजाही शुरू न होने से बोना, तोमिक, मल्ला भैंसकोट, हुनेरा, देवीसूना, पातों, कटौजिया सहित 50 से अधिक गांवों की 15 हजार से ज्यादा की आबादी परेशान है.। ग्रामीणों को गांवों से बाहर निकलने के लिए पैदल आवाजाही करनी पड़ रही है।. बीमारों और गर्भवतियों को भी कई किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचना पड़ रहा है।. तब जाकर वे प्रसव, इलाज और जांच के लिए अस्पताल पहुंच पा रहे हैं।. तीन महीने बाद भी बंद सड़कों को नहीं खोले जाने से सिस्टम के दावे हवाई साबित हो रहे हैं. आपदा प्रबंधन विभाग की सूची में हर सड़क के बंद होने की तिथि और समय दर्ज किया जा रहा है. सूची में सड़क के बंद होने की तिथि तो स्थायी है लेकिन इनके खुलने की संभावित तिथि लगातार खिसक रही है।. ऐसे में साफ है कि इन सड़कों के जल्द खुलने की उम्मीद कम ही है.। पिथौरागढ़ जिलाधिकारी ने अधिकारियों के साथ बैठक कर लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के पिथौरागढ़, अस्कोट, डीडीहाट, धारचूला और बेरीनाग क्षेत्र के अधिकारियों से जनपद की सड़कों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि दीपावली से पूर्व सभी प्रमुख सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जाए, ताकि आमजन को त्योहार के दौरान आवागमन में कोई असुविधा न हो. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत निर्माणाधीन अथवा क्षतिग्रस्त सड़कों की स्थिति सुधारने के लिए अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी भी अधिकारियों से प्राप्त की गई. सुशासन पोर्टल की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने पाया कि कुछ विभागीय अधिकारियों द्वारा पोर्टल पर वश्यक डेटा अपलोड नहीं किया गया है.।
इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने निर्देश दिए कि लंबित डाटा तत्काल प्रभाव से अपडेट किया जाए, अन्यथा संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।. उत्तराखंड में मानसून की विदाई के बावजूद बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही दलों ने फिर से आफत बढ़ा दी है। मौसम विभाग के अनुसार, बीते एक सप्ताह में प्रदेश में औसतन 22.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य (11.5 मिमी) से लगभग दोगुनी यानी 97 प्रतिशत अधिक है। बागेश्वर और चमोली में सर्वाधिक वर्षा हुई। देहरादून और रुद्रप्रयाग में भी झमाझम वर्षा हुई।सबसे ज्यादा बारिश बागेश्वर जिले में हुई, जहां 39.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 492 प्रतिशत अधिक है। रुद्रप्रयाग में भी स्थिति कुछ ऐसी ही रही, जहां 41 मिमी बारिश सामान्य से 453 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई। वहीं चमोली जिले में 28.7 मिमी बारिश के साथ 379 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। पिथौरागढ़ में सामान्य से 15 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई, जबकि उत्तरकाशी और नैनीताल जिलों में वर्षा सामान्य के आसपास रही। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण अक्टूबर के शुरुआती दिनों में उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में बारिश का दौर जारी रहा।पहाड़ी इलाकों में कई जगहों पर ओलावृष्टि और भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आई हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। विभाग के अनुसार, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम के बदलते मिजाज के चलते भूस्खलन की आशंका है, जिससे लोग सहमे हुए हैं। भारत की कृषि मॉनसून जीवनरेखा है।. जून से अक्टूबर के बीच आने वाला मॉनसून देश की कुल बारिश का करीब तीन-चौथाई हिस्सा देता है. सड़कों को खोलने में सिस्टम लाचार नजर आ रहा है।.
लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं