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प्रकृति अवलोकन आम जन से वैज्ञानिकों तक कैसे पहुंचे विषय पर व्याख्यान का आयोजन

देहरादून 30 सितम्बर,2025। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज सायं केन्द्र के सभागार में आई नेचुरलिस्ट से परिचय कराने पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मानव विज्ञान व वानिकी विषय के विशेषज्ञों द्वारा एक नागरिक विज्ञान ऐप के बारे में लोगों को जानकारी दी गयी जिसकी पहुंच वैज्ञानिकों तक ले जाने में हो सकती है। मानव विज्ञानी कुहेलिका बिष्ट और वानिकी के शोधार्थी यदनेश ने इस सन्दर्भ में उपस्थित लोगों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर इस व्याख्यान का संचालन किया।
वक्ताओं ने कहा कि हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ हम ब्रांड लोगो को अपनी खिड़की के बाहर बैठे पक्षी या उसके बैठे पेड़ से भी बेहतर पहचान सकते हैं। प्रकृति का अवलोकन करना जीवनयापन के लिए जरूरी होने से ज्यादा एक शौक बन गया है। मनुष्य और प्रकृति के बीच बढ़ते अलगाव के साथ, हम अपने आपसी जुड़ाव को कमजोर कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में, हम प्राकृतिक विलुप्ति दर से 1000 गुना ज्यादा प्रजातियों को खो रहे हैं। प्रजातियों की आबादी में गिरावट किसी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य में गिरावट का एक प्रमुख संकेतक है, जिसके परिणामस्वरूप हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों का भरण-पोषण करने की उसकी क्षमता प्रभावित होती है। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट ने साझा किया है कि, वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर मौजूद प्रजातियों की तुलना में आकाशगंगा में कितने तारे हैं, इसकी बेहतर समझ है। अगर हमें यह नहीं पता कि हम क्या और कितना खो रहे हैं, तो हम अपने पारिस्थितिकी तंत्र के पतन के पैमाने को कभी नहीं जान पाएंगे।
कुहेलिका बिष्ट ने कहा कि आई नेचुरलिस्ट पेज मूलतः लोगों का एक ऑनलाइन सोशल नेटवर्क है जो जैव विविधता की जानकारी साझा करते हैं ताकि एक-दूसरे को प्रकृति के बारे में जानने में मदद मिल सके और साथ ही विज्ञान एवं संरक्षण के लिए डेटा भी तैयार किया जा सके। उपयोगकर्ता अपने आस-पास के किसी भी जंगली जीव, चाहे वह पौधे हों, जानवर हों या कवक, की तस्वीरें या ऑडियो रिकॉर्डिंग अपलोड कर सकते हैं। आई नेचुरलिस्ट पेज उसकी संभावित पहचान सुझाएगा. इन बातचीत का आनंद यह है कि कोई नहीं जानता कि उसे क्या मिल गया है। अवलोकनों को रिकॉर्ड और साझा करके, प्रकृति को बेहतर ढंग से समझने और उसकी रक्षा करने के लिए काम कर रहे वैज्ञानिकों के लिए शोध-योग्य डेटा तैयार किया जा सकता है।
सत्र में स्लाइड शो के माध्यम से इस विषय वस्तु पर गहराई के साथ जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम के अन्तिम समय में लोगों ने इस बारे में सवाल-जबाब भी किये।
कुहेलिका मानव विज्ञान की पृष्ठभूमि वाली एक प्रकृतिवादी हैं। मानव और वन्यजीवों के बीच संबंधों में उनकी रुचि ने उन्हें नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन द्वारा प्रकृति मार्गदर्शक के रूप में प्रशिक्षित किया। उन्होंने कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों और कारगिल, लद्दाख के पहाड़ों में काम किया है। हिमालयन ब्राउन बियर ट्रस्ट के साथ उन्होंने द्रास घाटी के वनस्पतियों और जीवों पर एक क्षेत्रीय मार्गदर्शिका श्ह्यूमसश् पर शोध और लेखन किया है और क्षमता निर्माण एवं सामुदायिक सहभागिता से संबंधित परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। उन्होंने द्रास घाटी के प्रकृति मार्गदर्शकों के पहले बैच को पारिस्थितिक पर्यटन और नागरिक विज्ञान पर प्रशिक्षित किया है। वह वर्तमान में देहरादून में जैव विविधता निगरानी पर काम कर रही हैं और सिटीजन साइंस एशिया की सहयोगी आयोजक भी हैं।
यदनेश महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं और वर्तमान में देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान से वानिकी में एमएससी कर रहे हैं। एक उत्साही वन्यजीव प्रेमी और पक्षी प्रेमी होने के नाते, उन्हें प्रकृति में बिताए हर पल से प्रेरणा और सीख मिलती है। उनकी यात्रा जिज्ञासा, अवलोकन और धरती माता को समझने और संरक्षित करने की गहरी प्रतिबद्धता से प्रेरित है। वे सिटीजन साइंस एशिया के सहयोगी आयोजक भी हैं। साथ मिलकर, वे देहरादून के निवासियों को प्रकृति से फिर से जुड़ने और देहरादून की जैव विविधता को विश्व मानचित्र पर लाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने प्रारम्भ में उपस्थित लोगों और वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से निश्चित तौर पर प्रकृति के संरक्षित रखने की दिशा में कारगर होते हैं।
इस कार्यक्रम के अवसर पर प्रकृति प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, साहित्यकार, युवा पाठक व अन्य प्रबुद्ध लोगों के अलावा, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, छवि मिश्रा, डाॅ. लालता प्रसाद, कल्याण बुटोला,विजय भट्ट, कुल भूषण नैथानी, पंकज तिवारी, सुन्दर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर, आदि उपस्थित रहे।

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