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नेत्र दान करने की प्रतिज्ञा लें,गोष्ठी का आयोजन किया गया

Almora-नेत्र दान पखवाड़े के अंतर्गत गायत्री निरोग धाम,मॉल रोड,अल्मोड़ा में आज एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, इस दरमियान, 25 अगस्त से लेकर 8 सितंबर तक नेत्र दान के विषय में जन जागरण पैदा किया जा रहा है। हमारा देश ऋषि – मुनियों का है ।यहाँ परम्परा दान की बनी हुयी है। इस विषय पर आज चर्चा करते हुए डॉ दुर्गापाल ने बताया कि महर्षि दधीची ने अपनी हड्डियाँ दान कर दी थी, राजा शिवि अपने अंग अंग काटकर दान कर दिए थे, आइए आज हम सभी नेत्र दान का संकल्प करें, ताकि हमारी मृत्यु के बाद भी हमारे नेत्रों से कोई ज़रूरतमंद इस सुन्दर दुनिया को देख सकें ।हमारे देश में नेत्र दान करने वालों की बहुत कमी है लेकिन नेत्रों की आवश्यकता बहुत लोगों को है।जब आंख की पारदर्शी पुतली किसी कारण से खराब हो जाती है तो दिखना बंद हो जाता है जिसको हम लोग ग्रामीण भाषा में फूला कहते हैं जो कि सफ़ेदी लिये होता है। इसको बदलना आवश्यक हो जाता है । मृत व्यक्ति से अच्छी पुतली निकालकर जीवित व्यक्ति की आँखों में लगाई जा सकती है। जिस प्रकार से घड़ी का शीशा खराब हो जाता है और बदलने की आवश्यकता होती है उसी प्रकार से ये विधि नेत्र दान की भी है । भारत में हर मेडिकल कॉलेज में नेत्र बैंकों की सुविधा है! लेकिन उत्तराखण्ड में अभी तक नेत्र बैंक की सुविधा नहीं हो पायी है! हमारे देश में 1 करोड़ व्यक्ति दृष्टि हीन हैं और इनको नेत्र ज्योति की आवश्यकता है। इसलिए आयें नेत्र दान की आवश्यक जानकारी पता करें और नेत्र दान करने की प्रतिज्ञा लें।
इस गोष्ठी में भीम सिंह अधिकारी,राघव पंत,देवेश पंत ,डॉ हर्षवर्धन पंत,रमेश सतवाल,जगदीश बिष्ट,गोविंद नेगी,राजेश भट्ट,अभिषेक बनौला,मोहित बिष्ट,राकेश जोशी,आदि शामिल थे।

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