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शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति मेंश्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा, मसूरी और मुजफ्फरनगर में हुए दमन और गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में आज गांधी पार्क, अल्मोड़ा में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। भारी वर्षा के बावजूद बड़ी संख्या में छात्र- छात्राओं, ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम में भाग लिया और शहीदों को नमन किया।

सभा में अंतर्जातीय विवाह करने पर जगदीश की हुई निर्मम हत्या की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

सभा की अध्यक्षता केंद्रीय उपाध्यक्ष समिति आनंदी वर्मा ने की तथा संचालन एडवोकेट नारायण आर्य ने किया। सभा को संबोधित करते हुए उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के 25 वर्षों में जो सरकारें सत्ता में रहीं, उन्होंने इस राज्य की अवधारणा, अस्मिता और प्राकृतिक संसाधनों को निर्ममता से नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली की कठपुतली सरकारों ने पूंजीपतियों, माफियाओं और बड़ी कंपनियों को संरक्षण देकर जल, जंगल और जमीन की खुली लूट को बढ़ावा दिया। विकास के नाम पर अपनाई गई नीतियों ने उत्तराखंड को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है।

उन्होंने कहा कि राज्य आज बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुका है। स्थायी सरकारी नौकरियों को समाप्त कर लाखों युवाओं को ठेके और मानदेय पर निर्भर रहने को मजबूर किया गया है। खेती-किसानी को उपेक्षा और जंगली जानवरों की मार से चौपट कर दिया गया है, जिससे गांव खाली हो रहे हैं और पलायन की समस्या और गंभीर हो गई है। अनियोजित विकास परियोजनाओं ने हिमालयी पारिस्थितिकी को गंभीर खतरे में डाल दिया है, जिसका दुष्परिणाम हम आए दिन आपदाओं के रूप में देख रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं चरम दुर्दशा का शिकार हैं और इन्हें बाजार के हवाले कर संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार का हनन किया गया है।

सभा में वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि शहीदों का सपना सिर्फ राज्य बनाना नहीं था, बल्कि एक समावेशी, न्यायपूर्ण और स्वाभिमानी उत्तराखंड का निर्माण करना था। “शहीदों हम शर्मिंदा हैं, तुम्हारे कातिल ज़िंदा हैं”, “जल-जंगल-जमीन हमारी है, नहीं सहेंगे लूट तुम्हारी”, जैसे नारे सभा में गूंजते रहे। एडवोकेट विनोद जोशी, विनोद तिवारी, सोनी मेहता, भावना पांडे और ममता जोशी सहित अनेक वक्ताओं ने उत्तराखंड के सामाजिक-राजनीतिक हालात पर अपने विचार रखे।

सभा में उपस्थित जनसंगठनों ने एक सुर में उत्तराखंड की जनता से आह्वान किया कि वे राज्य निर्माण के मूल उद्देश्यों की पुनर्स्थापना, उत्तराखंडी अस्मिता की रक्षा और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन के लिए संगठित होकर संघर्ष के एक नए चरण की शुरुआत करें। यह भी संकल्प लिया गया कि शहीदों के सपनों को मंज़िल तक पहुंचाने के लिए जनजागरण और जनसंगठन की ताकत को फिर से खड़ा किया जाएगा।

सभा का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि उत्तराखंड के सभी जनसंगठन, जागरूक नागरिक, युवा, किसान, श्रमिक, महिलाएं और बेरोजगार लोग अपने-अपने समूहों और पहचानों के साथ इस जनसंघर्ष का हिस्सा बनें और शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें।

सभा को उपपा की केंद्रीय उपाध्यक्षा आनंदी वर्मा, एड नारायण राम, एड विनोद चंद्र तिवारी, डॉ जे सी दुर्गापाल, प्रेम चंद्र, ममता जोशी, चिंतामणि भट्ट, उछास की नीमा आर्या, सोनी मेहता, हेमा आदि ने संबोधित किया। सभा में धौलादेवी से बसंत सिंह खनी, ममता बिष्ट, किरन आर्या, पूजा, एड पान, राजू गिरी, चंदन सिंह, मोहम्मद वसीम, गोपाल सिंह गैड़ा, उछास की भावना पांडे, दीपांशु पांडे, राकेश समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

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