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देघाट गोलीकांड दिवस के अवसर पर शहीदों एवं क्रांतिकारियों को दी श्रद्धांजली

almora- इतिहास विभाग, एस. एस. जे परिसर अल्मोड़ा में देघाट गोलीकांड दिवस के अवसर पर शहीदों एवं क्रांतिकारियों को दी गई श्रद्धांजली
19 अगस्त 1942 में गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरित होकर चौकोट की तीनों पट्टियों की एक सभा देघाट में आयोजित की गई. देघाट में विनौला नदी के पास देवी के एक मंदिर में करीब 5 हजार लोग एकत्रित थे. शान्तिपूर्ण तरीके से चल रही सभा में से पुलिस ने सभा का नेतृत्व कर रहे उदेपुर के एक सत्याग्रही खुशाल सिंह मनराल को हिरासत में ले लिया.
जब जनता को खुशाल सिंह मनराल की हिरासत की बात पता चली तो उन्होंने पटवारी की चौकी घेर ली. जनता जोर-शोर से खुशाल सिंह मनराल को छुड़ाने की मांग करने लगी.भीड़ को नियंत्रित करने के नाम पर पुलिस ने निहत्थी जनता को घेरा और गोली चला दी.

इस घटना में भेलीपार गांव के हरिकृष्ण उप्रेती और खलडुवा गांव के हीरामणि गडेला गोली लगने से शहीद हो गये. इन दोनों की ही उम्र महज 35-36 साल रही होगी. देघाट गोली कांड में भेलीपार गांव के रामदत्त पांडे भी पुलिस की गोली से घायल हुये. बदरी दत्त कांडपाल पर भी गोली लगी.
इस अवसर पर विभागीय सदस्य एवं विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

देघाट गोली कांड के बाद क्षेत्र का माहौल गर्म था. 8 दिन बाद अंग्रेजों ने मौका देखकर विद्रोह के दमन के नाम पर कारवाई की. 70 सिपाही देघाट पहुंचे. विद्रोह के दमन के नाम पर सार्वजनिक लूट-पाट की गई. उदयपुर, क्यरस्यारी, सिरमोली, गोलना और महरौली गांवों में सामूहिक अर्थदंड लगाया गया. गांव वालों को बुलाकर बेतों से पीटा गया. क्षेत्र से 29 लोगों को जेल भेजा गया.

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