26 अगस्त- स्मरण सामाजिक चेतना के संवाहक: मुंशी हरी प्रसाद टम्टा
Almora-26 अगस्त का दिन अल्मोड़ा में रायबहादुर मुंशी हरी प्रसाद टम्टा को स्मरण करने का दिन है।1887 में अल्मोड़ा में जन्मे हरी प्रसाद टम्टा जिन्होंने तत्कालीन समय में समाज में फैली विविध रुढ़िवादी परम्पराओं, छुआछूत, दलित शोषित समाज को अंधविश्वास से ऊपर उठाकर सामाजिक सौहार्द्र के लिए वातावरण निर्माण किया।
उनके क्रिया कलापों का महत्वपूर्ण पक्ष 1925 में अल्मोड़ा नगर के ड्योली डांना के पर्वतीय क्षेत्र के शिल्पकारों का सम्मेलन कर उनके उत्थान का संकल्प लिया गया था।वस्तुत:यह कहा जा सकता है कि ‘शिल्पकार ‘शब्द को प्रभावी बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
एक सामाजिक-कार्यकर्ता के अलावा एक पत्रकार के रूप में उनकी छवि को हम ‘समता’ के माध्यम से देख सकते हैं।जब 1934 में उन्होंने इस पत्र का प्रकाशन अल्मोड़ा से किया था।
वे अल्मोड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष के पद में (1945-1952)रहे तथा एक प्रभावी प्रशासक रहे तथा एक प्रभावी प्रशासक और ईमानदार छवि ने उन्हें औरों से अलग किया था।
1952 में उन्होंने कार्यकाल पूर्ण होने पर नगरपालिका में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा था —-
मेंने अपने अंतःकरण से सत्य और न्याय को आधार मानकर अपनी समझ के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करने की लगातार कोशिश की है, नगर और नागरिकों की भलाई मेरा पहला लक्ष्य रहा है।
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे कार्य काल में मेरे द्वारा एक भी गैर कानूनी कार्य नहीं किया गया या पक्षपात किया गया। मैंने अपने कर्तव्यों का पालन पूरी सच्चाई से किया है।
आज के समय में सामाजिक कार्यकर्ताओं से इस प्रकार के साहस भरे वक्तव्य की अपेक्षा कम ही की जाती है। किसी समय उन्होंने कहा था —-
सदियों से अस्पृश्यता दीमक की तरह हमारे समाज में लग गई है जिसने उसकी जड़ें खुरच- खुरच कर खाली कर दी हैं।इस कार्य में सक्रिय सहयोग देना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है —-।
आज के दिन
‘शक्ति ‘उनका भावपूर्ण स्मरण करती है।
डा निर्मल जोशी
चीनाखान नौघर अल्मोड़ा।